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वर्तमान युग में सामाजिक बदलाव में महिलाओं की अहम भूमिका- तोरुल एस रवीश

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वर्तमान युग में सामाजिक बदलाव में महिलाओं की अहम भूमिका- तोरुल एस रवीश

राजकीय महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का जिला स्तरीय समारोह आयोजित।

पूजा कश्यप /देसी चैनल कुल्लू

वर्तमान  युग में सामाजिक बदलाव में महिलाओं की अहम भूमिका है। महिला को परिवार में पुरुष के बराबर निर्णय लेने का अधिकार हो इसके लिये महिला का आर्थिक तौर पर स्वाबलंबी होना जरूरी है। यह बात उपायुक्त तोरुल एस रवीश ने राजकीय महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के जिला स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही।


उपायुक्त ने इस अवसर पर नारी शक्ति को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वैसे तो हर दिन महिलाओं के लिए खास होना चाहिए, लेकिन आज इस दिवस को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, समाज के हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित बनाना तथा उनके योगदान का स्मरण करना है। उन्होंने कहा कि आज का यह दिन दुनियाभर में महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है। 1917 में युद्ध के दौरान आज के दिन रूसी महिलाओं ने खाना और शांति के लिए पहली बार आवाज उठाई थी। महिलाओं के प्रति किसी भी तरह के भेदभाव को दूर करने के लिए कानूनी प्रणाली एवं सामुदायिक प्रक्रिया विकसित करना तथा समाज में महिलाओं के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के लिए महिलाओं और पुरुषों को समाज में बराबर भागीदारी निभाने को बढ़ावा देने पर आज विशेष चिंतन किया जाना चाहिए।

उपायुक्त ने कहा कि कोई भी राष्ट्र तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक महिलाएं सशक्त न हो। महिलाओं को देश के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक जीवन में बराबर की भागीदार बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा समाज का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जो महिलाओं की पहुंच से बाहर हो। महिलाओं ने आज हिमालय पर्वत से लेकर स्पेस तक अपना वर्चस्व स्थापित किया है।
आज कई महिलाएं ऊर्जावान नेतृत्व से अपने स्थानीय परिवेश में आशातीत परिवर्तन ला रही हैं। घर के चौके-चूल्हे से बाहर, व्यवसाय हो, साहित्य जगत हो, प्रशासनिक सेवा हो, विदेश सेवा हो, पुलिस विभाग हो या हवाई सेवा हो या फिर खेल का मैदान हो, महिलाओं ने सफलता का परचम हर जगह लहराया है। उन्होंने महिलाओं ने स्वच्छता अभियान तथा समाज को नशामुक्त बनाने की मुहिम में अपना योगदान देने की अपील की।
महिला अधिकारों की जानकारी देते हुए रविन्द्र कुमार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक सभी को बराबर मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। कोई भी सरकार लिंग के आधार पर कानून नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कार्यस्थल पर सैक्शुअल हैरासमैंट जो स्थानांतरण, पदोन्नति अथवा पोस्टिंग के नाम पर की जाती है, के विरूद्ध कड़ा कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण में कानूनी साक्षरता व मुफ्त कानूनी सहायता का प्रावधान है। महिलाओं की आय कोई भी हो, उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पति से खर्चा, बच्चों को माता-पिता तथा बुजुर्गों को बच्चों से खर्चा प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है। घरेलू हिंसा में किसी भी महिला के प्रति घर-परिवार के भीतर किसी भी प्रकार की हिंसा पुरुषों द्वारा की जाती है तो इसके लिए वह न्यायालय में शिकायत कर सकती है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिये कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। महिला मण्डलों, स्वयं सहायता समूहों, कॉलेज की छात्राओं तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर कुल्लवी नाटी, नुक्कड व नाटक तथा गीत संगीत के अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जिला के विभिन्न भागों से आई महिलाएं मौजूद रहीं।

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